नीलिमाजी कई पोस्ट पर एक बेनाम भIई-बहन (चलिये इन्का नाम च रख लेते हैं) ने टिप्पणी की है और ये पोस्ट उसी से प्रेरित है।
तो च ने भाषा की मर्यादा(?) बनाये रखते हुये कई ऐसे संग्याओं का प्रयोग किया जिससे ये तो स्पष्ट हो गया है कि उन्हे नीलिमा जी की रचना से शिकायत नही बल्कि कोइ और शिकायत है। अब अनुमान लगाया तो लगता है कि उन्हे शिकायत शायद विषय से है या फिर इस बात से कि लेखिका (नीलिमाजी) ने अपने को रचनाकार मान लिया। वैसे पता नही कब नीलिमा जी ने ये दावा किया…॥
कुछ दिन पहले मसिजीवीजी ने blog और उससे जुडी हुयी मानसिकता के बारे में लिखा था। जहां हर कोई अपना विचार अभिव्यक्त करने को स्वतन्त्र है वहीं कई लोग समाज और नैतिक मूल्यों की सुरक्षा के लिये भी तैयार मिलेंगे। इस सन्दर्भ में सहित्य की सुरक्षा के लिये।
च की बात समझ में आती है और इस बात को स्त्री-पुरुष का रंग देना मेरा औचित्य नही है। तो कुछ हुआ, नीलिमाजी ने अपने विचार व्यक्त किये और च महोदय/महोदया ने नीलिमाजी के विचारों पर अपने विचार व्यक्त किये। वैसे अगर आप अनाम हों तो आप्की स्वतन्त्रता और भी बड जाती है। देखिये, कब हमें च के बारे में और जानने का सौभग्य मिलता है।
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2 comments:
पहली बार आपके ब्लाग पर आना हुआ ।स्टैट्काउन्टर पर ओमकार देखकर जानने की इच्छा हुई थी ।सो आपतक पहुची ।यहा खुद को लिन्कित देख सुखद हैरानी हुई ।निरन्तर लिखते रहें और विचारों को विस्तार दें तो अच्छा लगेगा।
शुभकामनाएं !
धन्यवाद सुजाता जी। विचारों को विस्तार देने का प्रयास रहेगा भविश्य में
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