ओ सूरज!
कहां हो भाई? घर आओ तो
रोशनी हो जाये …
अगर चाहो तो
चाय पर चांद को भी बुला लेंगे
घर के पास जो नदी बहती है
उसे भी आवाज देकर गप्पें लगाने को रोक लेंगे।
लगे हाथ वो पौधों को पानी दे देगी
मेरी छोटी चिडिया को भी लेकर बैठेंगे
उसके छोटे गीत और छोटे खेल
छोटी चिडिया, और पक्षियों को भी बुला लेगी
पर सूरज भाई!
तुम्हें थोडी अपनी धूप कम करनी होगी। करोगे?
जन शाम हो जाये,
तुम घर में मशाल बन एक किनारे रहना
धीरे-धीरे सुलगते रहना और
प्रकाश और प्रेरणा बांटने को
करोगे?
रहने दो! तुम अगर मशाल का काम करोगे तो
तुम्हारा काम कौन करेगा?
तुम अपना और मशाल दोनों का काम
करोगे?
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